Hindi Kahani: जो बेटी मायके की कमियों को ढक सकती है वो बहू बनने के बाद ससुराल की कमियों को क्यों नहीं ढंक पाती

जो बेटी मायके की कमियों को ढक सकती है वो बहू बनने के बाद ससुराल की कमियों को क्यों नहीं ढंक पाती

” माफ करना समधन जी, लेकिन एक बेटी अपने मायके की दस कमियों को भी ढंक लेगी। लेकिन जब वही बेटी ससुराल में बहू बनकर जाती है तो अपने ससुराल की छोटी से छोटी कमी को नहीं ढंक पाती”सुधा जी ने अपनी समधन ममता जी से कहा।” समधन जी आप कहना क्या चाहती है अब

Parivarik kahani: सासू मां के वहम का मैं क्या कर सकती हूं

Parivarik kahani

Parivary kahani: ” देखो बहू, मैं तो इस तरह की साड़ियां पहनती नहीं हूं। पर तुम्हारी मम्मी भेजने से बाज भी नहीं आती है। कितनी बार कहा है कि कैश ही दे दिया करें। लेकिन तुम हो कि बोलती ही नहीं। कल कामवाली आए तो उसे दे देना”ममता जी ने बहु निधि को उसकी मम्मी